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Saturday, 5 October 2013

मेरे लिए पहले शौचालय फिर देवालय: नरेंद्र मोदी

Updated on: Thu, 03 Oct 2013 07:56 AM (IST)
Narendra Modi
मेरे लिए पहले शौचालय फिर देवालय: नरेंद्र मोदी
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अगले चुनाव में युवाओं की भूमिका को भांपते हुए भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने देश भर से जुटे हजारों छात्रों को साध लिया। बुधवार को देश के 200 कॉलेजों से हजारों छात्र जुटे थे। उन्होंने प्रजेंटेशन के जरिये युवाओं के मनचाहे भारत का खाका खींचा था। समापन भाषण में मोदी ने हर बिंदु को छुआ और खास ध्यान रखा कि पूरा मुद्दा विकास आधारित हो और देश का वर्तमान नेतृत्व भी कठघरे में खड़ा किया जाए। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है, 'पहले शौचालय फिर देवालय'। मेरी प्राथमिकता है पहले विकास। मैंने गुजरात में यह कर दिखाया है। गौरतलब है कि ऐसे ही एक बयान को लेकर ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश की खासी आलोचना हुई थी।
मोदी ने जहां युवाओं को विकास और रोजगार के मंत्र दिए, वहीं धर्मनिरपेक्षता पर छिड़ी बहस को भी देश के विकास से जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता वही सही है, जो देश को विकास के रास्ते पर ले जाए। धर्मनिरपेक्षता का मतलब सर्वधर्म समभाव है। इसमें सभी के लिए न्याय है, लेकिन यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसी का तुष्टीकरण न किया जाए। देश और समाज की भलाई तभी होगी, जब इस धर्मनिरपेक्षता का पालन होगा। युवा भी उनकी बात से सहमत दिखे। तालियों से हॉल गूंज उठा। मोदी को अहसास था कि युवा अपने नेतृत्व को लेकर खासा जाग्रत होते हैं। लिहाजा, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उनके निशाने पर थे।
कुछ मुलाकातों का हवाला देते हुए उन्होंने संकेत दिया कि केंद्र सरकार न तो कोई निर्णय ले सकती है और न ही कोई नई सोच अपना सकती है। खामियाजा देश भुगत रहा है। उन्होंने कहा कि नेतृत्व में फैसला लेने की क्षमता होनी चाहिए।
मोदी ने तकनीक का भी उल्लेख किया और कहा कि पारदर्शिता के लिए इसका उपयोग जरूरी है। महिलाओं के सशक्तिकरण, आधारभूत ढांचों के निर्माण जैसी समस्याओं को भी गुजरात मॉडल से जोड़ते हुए संकेत दिया कि देश को भी अब सशक्त नेतृत्व की जरूरत है। इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सक्रिय युवाओं को भरोसा दिया कि वह उनके सपने अधूरे नहीं रहने देंगे।
उन्होंने अपील की कि देश के लिए कोई भी सुझाव हो तो वह कभी भी सोशल मीडिया के जरिए उनसे संपर्क साध सकते हैं। लगभग एक घंटे के भाषण में युवाओं की तालियों के शोर ने मोदी को जरूर बड़ा हौसला दिया होगा। आखिरकार मोदी उन्हें यह बताने से नहीं चूके कि बदलाव का रास्ता वोट से होकर गुजरता है। अगर युवा बदलाव चाहते हैं तो वे अपनी इस जिम्मेदारी को भी निभाएं।
'मुझे एक हिंदूवादी नेता के तौर पर पहचाना जाता है। मेरी छवि मुझे ऐसा कहने की अनुमति नहीं देती, लेकिन मैं यह कहने की हिम्मत कर रहा हूं कि पहले शौचालय फिर देवालय। गांवों में मंदिरों पर लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं, लेकिन वहां शौचालय नहीं हैं।'
-नरेंद्र मोदी

पहले शौचालय, फिर देवालय – डॉ. वेदप्रताप वैदिक


Dr.-Ved-pratap-Vaidik  नरेंद्र मोदी के इस कथन पर मुझे कई साधु-संतों ने फोन करके आश्चर्य व्यक्त किया कि ‘पहले शौचालय और फिर देवालय’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुछ उच्च पदस्थ अधिकारियों ने भी शंका व्यक्त की कि क्या सचमुच नरेंद्र मोदी ने ऐसा कहा है?  सचमुच नरेंद्र मोदी के इस कथन का कई तबकों में गलत अर्थ लगाया जा सकता है। नरेंद्र मोदी पर चारों तरफ से इतना दबाव पड़ सकता है कि वे या तो अपने कथन को वापस ले सकते हैं या जैसा कि नेता करते हैं, वे लीपा-पोती करके बच निकलना पसंद करें।
यदि नरेंद्र मोदी ऐसा करते हैं तो वे गलत करेंगे। उन्हें अपने बयान पर डटना चाहिए। उन्होंने यह बयान कल दिल्ली में युवजन के साथ एक जीवंत संवाद में दिया था। यह वाक्य बोलने के पहले उन्होंने प्रश्नोत्तर के दौरान कहा था कि गरीब, गरीब है। उसके हिंदू, मुसलमान या ईसाई होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। देश के करोड़ों लोगों के लिए शौचालय होना जरुरी है।
शौचालय, देवालय से भी ज्यादा जरुरी क्यों है, यह मोदी ने बताया या नहीं लेकिन मैं बताना चाहता हूं। देवालय तो हर मनुष्य के हृदय में होता है। ईंट और चूने का देवालय हो या न हो, ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। ईंट-चूने का भव्य देवालय आपने बना दिया लेकिन आपके दिल में देव नहीं है तो वह देवालय किस काम का है?  देव की आराधना तो देवालय के बिना भी अच्छी तरह से हो सकती है लेकिन शौचालय के बिना शोच कैसे होता है,  क्या आपको पता है?
करोड़ों लोग आज भी गांव के बाहर या बस्ती से दूर लोटा लेकर शौच करने जाते हैं। अशक्त, बीमार और वृद्ध लोगों के लिए यह अतिरिक्त सजा होती है। कई बार शौच बीच में ही हो जाता है। कई बार लोग बरसात,  कीचड़ और धूप के मारे ठीक से शौच नहीं कर पाते। खुले में शौच करने पर जो बीमारियां गांवों में फैलती हैं,  उनके नुकसान का अंदाज़ लगाना भी मुश्किल है। जो शौच शरीर को स्वच्छ रखने के लिए किया जाता है,  उसी के कारण लाखों शरीर रुग्ण हो जाते हैं। शास्त्रों में कहा गया है – ‘शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्’  अर्थात धर्म का सर्वप्रथम साधन शरीर ही है। शरीर की स्वस्थता से ही धर्मपालन का प्रारंभ होता है।  यदि शौचालय सबको उपलब्ध हों तो इससे बड़ा धर्मसाधन क्या हो सकता है?
देश में शौचालयों की कमी के कारण सबसे भयंकर अत्याचार औरतों पर होता है। वे दिन के उजाले में शौच नहीं जा पातीं। शौच को रोके रखने से असाध्य रोग हो जाते हैं। मैंने गांवों में कई बार रात को देखा है कि दर्जनों स्त्रियां बस्तियों के बाहर लंबी-लंबी कतारें लगाकर शौच के लिए बैठी रहती हैं और ज्यों ही हमारी कार वहां से गुजरती हैं, वे रोशनी से लज्जित होकर उठ-उठकर भागने लगती हैं। उनसे ज्यादा शर्म मुझे आती है। हमने अपने इंसानों को जानवर बना रखा है और हम धर्म की डींगे मारते हैं।
मोदी के उक्त कथन को राम मंदिर विरोधी बताना भी बचकाना है। ये दो बिल्कुल अलग बाते हैं। मोदी ने जो यह क्रांतिकारी बात कही,  यह गांधी जयन्ती के अवसर पर कही है। गांधी स्वच्छता को, सफाई को, शौच को भगवत्कार्य मानते थे। एक बार कस्तूरबा से इसी मुद्दे पर गांधी इतने नाराज़ हुए कि उन्होंने बा को सीढ़ियों पर से नीचे धकेल दिया था। यदि मोदी पर अब अटलजी के साथ-साथ गांधीजी का भी अवतरण हो रहा है तो मैं उसका स्वागत करता हूं।

शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2013

'देवालय' बनाम 'शौचालय'

'देवालय' बनाम 'शौचालय' ....मुद्दा फिर चर्चा में है। कभी स्व. काशीराम, कभी जयराम रमेश और अब नरेन्द्र मोदी ....पर इसे मात्र मुद्दे और विचारों तक रखने की ही जरुरत नहीं है, इस पर ठोस पहल और कार्य की भी जरुरत है। आज भी भारत में तमाम महिलाएं  'शौचालय' के अभाव में अपने स्वास्थ्य से लेकर सामाजिक अस्मिता तक के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। स्कूलों में 'शौचालय' के अभाव में बेटियों का स्कूल जाना तक दूभर हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो काफी बुरी स्थिति है। पहले घर और स्कूलों को इस लायक बनाएं कि महिलाएं वहाँ आराम से और इज्जत से रह सकें, फिर तो 'देवालय' बन ही जाएंगें। इसे सिर्फ राजनैतिक नहीं सामाजिक, शैक्षणिक, पारिवारिक  और आर्थिक रूप में भी देखने की जरुरत है !!

फ़िलहाल, राजनैतिक मुद्दा क्यों गरम है, इसे समझने के लिए पूरी रिपोर्ट पढ़ें, जो कि  साभार प्रकाशित है।

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने नरेंद्र मोदी को उनके उस बयान पर आडे हाथों लिया है जिसमें उन्होंने देवालय से ज्यादा महत्व शौचालय को देने की बात कही थी। खुद भी ऎसा ही बयान दे चुके रमेश ने कहा कि मोदी ऎसे नेता हैं जो रोज नए रूप में सामने आते हैं। मोदी को यह बताना चाहिए कि क्या वह अयोध्या में महा शौचालय बनाने के कांशीराम के सुझाव से सहमत हैं। एक कार्यक्रम के दौरान टीवी पत्रकारों से बात करते हुए जयराम रमेश ने कहा, अब जब उन्होंने देवालय से पहले शौचालय की बात कह दी है तो उन्हें यह भी साफ करना चाहिए क्या वह अयोध्या में ब़डा सा शौचालय बनवाने के कांशीराम के सुझाव से भी सहमत हैं या नहीं। उन्होंने कहा, कांशीराम जी ने एक रैली में यह सुझाव दिया था।

उन्होंने कहा, अब मेरे बीजेपी के दोस्त क्या कहेंगे। मोदी के बयान पर वो क्या राय रखते हैं। जब मैंने कुछ ऎसा ही बयान दिया था तो विरोध हुआ। राजीव प्रताप रूडी और प्रकाश जावडेकर ने मुझपर धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया पर अब वे क्या कहेंगे। इनके अलावा कुछ संगठनों ने विरोध का बेहद ही खराब तरीका अपनाया और मेरे घर के सामने पेशाब की बोतल रख दी। मोदी पर निशाने साधते हुए उन्होंने कहा, चलो देर से ही सही पर मोदी को ज्ञान तो मिला पर उनकी ये बयानबाजी सिर्फ राजनीति के कारण है क्योकि गुजरात के सीएम पीएम बनने का सपना देख रहे हैं। जयराम रमेश ने कहा कि खुद को हिंदुत्ववादी बताने वाले मोदी अब नए अवतार में सामने आए हैं। वह ऎसे नेता हैं जो रोज नए अवतार में सामने आते हैं। हमारे यहां दशावतार की बात कही जाती है, लेकिन उनके लिए यह शब्द कम पडेगा। वह शतावतार वाले नेता हैं। रमेश ने मोदी के शौचालय वाले बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि 2011-12 में गुजरात सरकार ने दावा किया था कि ग्रामीण इलाकों में लगभग 82 फीसदी घरों में शौचालय हैं, पर सही आंकडा सिर्फ 34 फीसदी है। इससे विकास के दावे पूरी तरह से सामने आ जाते हैं।

गौरतलब है कि खुद जयराम रमेश ने कुछ दिन पहले ऎसा बयान दिया था कि गांव में मंदिर बनवाने से ज्यादा जरूरी है कि शौचालय की व्यवस्था करना। उनके उस बयान की काफी आलोचना हुई थी। उस बयान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, मैंने देवालय का नाम नहीं लिया था। लेकिन उस बयान पर हंगामा मचाने वाले लोगों को अब मोदी के इस बयान पर अपना रूख साफ करना चाहिए। 

दिग्गी ने पूछा, भाजपा अब चुप क्यूं... 
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने अखबार के एक पुराने लेख का उललेख किया जिसमें मोदी के हवाले से कहा गया था कि वो लोग जो शौचालय साफ करते हैं उन्हें ऎसा करने में आध्यात्मिक खुशी मिलती है जबकि केन्द्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि "मोदी हिन्दू नेता नहीं" हैं लेकिन हिन्दुओं को भ्रमित करने व वोट इकटा करने के लिए उन्हें ऎसा पेश किया जा रहा है।

रमेश का भाजपा ने किया था विरोध...
शुक्ला ने कहा कि मोदी जो कुछ भी कहते हैं उस पर भाजपा चुप्पी मार जाती है और उन्हें समर्थन देना शुरू कर देती है। जयराम रमेश ने एक बार कहा था कि गावों में मंदिर से पहले शौचालय बनना चाहिए। तब भाजपा ने तत्काल रमेश की आलोचना की थी और मांग की कि उन्हें देश से माफी मागनी चाहिए। शुक्ला ने कहा,जब मोदी ने ऎसा कहा तो भाजपा अपना मुंह क्यों नहीं खोल रही है। मोदी कोई हिन्दू नेता नहीं हैं। उन्होंने हिन्दुओं के लिए कुछ किया भी नहीं है। उनकी राय भी पूरी तरह से अलग है। वोट हासिल करने के षडयंत्र के तहत लोगों को, हिन्दुओं को भ्रमित करने के लिए उन्हें इस तरह से पेश किया जा रहा है।

क्या मोदी ने शौचालय साफ किया...
मोदी के कटु आलोचक समझे जाने वाले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्होंने एक लेख देखा है जिसमें मोदी ने कहा था कि जो शौचालयों को साफ करते हैं उन्हें इसकी सफाई करने में आध्यात्मिक खुशी मिलती है। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या उन्हें कभी इस तरह की खुशी का अनुभव हुआ था और शौचालय साफ किया था।

'देवालय से पहले शौचालय' : अब आजम ने मोदी पर किया वार

Updated on: Sat, 05 Oct 2013 02:32 PM (IST)
Narendra Modi
'देवालय से पहले शौचालय' : अब आजम ने मोदी पर किया वार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के शहरी विकास मंत्री आजम खान ने गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के उस बयान की तीखी आलोचना की जिसमें उन्होंने 'देवालय से पहले शौचालय' कहा था।
मंत्री ने शुक्रवार को मंदिर नगरी फैजाबाद में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन लोगों ने 1992 में अयोध्या की बाबरी मस्जिद ढहा दी वह शौचालय के बारे में बात करते हैं। यह धर्म एवं प्रार्थना करने वालों का अपमान है। उन्होंने कहा कि 'यह कुछ नहीं है, बल्कि ये बयान ऐसे लोगों की मानसिकता को व्यक्त करता है।'
गौरतलब है कि मोदी ने नई दिल्ली में पिछले दिनों कहा था कि उनके लिए देवालय से पहले शौचालय है। इसके बाद विवाद काफी बढ़ गया था। प्रवीण तोगड़िया से लेकर जयराम रमेश ने भी उनपर निशाना साधा था।
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Web Title: Azam Khan slams Modi's toilets before temple remark
(Hindi news from Dainik Jagran, news national Desk)


देवालय से पहले शौचालय होना चाहिए: नरेंद्र मोदी

मंदिर से पहले टॉयलेट बनवाएं: मोदी

मंदिर से पहले टॉयलेट बनवाएं: मोदी

पूनम पाण्डे
नई दिल्ली।। बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी बुधवार को दिल्ली अलग अंदाज में नजर आए। त्यागराज स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम 'मंथन' में युवाओं संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि देवालय से पहले शौचालय होना चाहिए।

मोदी ने युवाओं को लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। भाषण के दौरान मोदी ने कहा कि 21वीं सदी में भी हमारी महिलाओं को खुले में शौच के लिए जाना पडता है। देश के लिए इससे शर्मनाक और क्या बात होगी। मेरी पहचान तो हिंदूत्ववादी की है लेकिन मैं अपनी असली सोच बताता हूं। मैं अपने राज्य में कहता हूं, पहले शौचालय फिर देवालय। हर गांव में लाखों रुपये के देवालय तो हैं, लेकिन शौचालय नहीं।